केपी शर्मा ओली के बाद कौन बनेगा नेपाल का प्रधानमंत्री? रेस में हैं ये 3 नाम

काठमांडू। नेपाल में जारी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा नेपाल सेना ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, आने वाले दिनों में हालात किस दिशा में जाएंगे, इसे लेकर असमंजस गहराता जा रहा है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि ओली का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है, लेकिन उन्हें तब तक पद पर बने रहने को कहा गया है जब तक आगे की व्यवस्था नहीं हो जाती। इस बीच नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर अब तक कई नाम सामने आ चुके हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संवैधानिक विशेषज्ञ डॉ. भीमरजुन आचार्य ने कहा, “हम ऐसी स्थिति में हैं जिसकी संविधान निर्माताओं ने कल्पना भी नहीं की थी। समाधान केवल सभी पक्षों के बीच संवाद से निकल सकता है। लेकिन इसके लिए आंदोलन का शांत होना और सामान्य स्थिति का लौटना जरूरी है। जनता का जीवन और अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए।” कई जानकार मानते हैं कि 10 साल पुराना संविधान अब व्यावहारिक रूप से अप्रासंगिक हो चुका है और अंतरिम व्यवस्था ही अगला कदम होना चाहिए।
अगला प्रधानमंत्री कौन?
केपी शर्मा ओली के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री कौन होगा? नेपाल में इन दिनों यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सभी दलों के नेताओं की ओर है। इसलिए किसी भी राजनीतिक चेहरे पर सहमति बनना कठिन दिख रहा है। नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर बोलती रही हैं और Gen Z प्रदर्शनकारियों से भी संवाद कर रही हैं। उनका नाम फिलहाल सबसे आगे है।
उनके पूर्ववर्ती कल्याण श्रेष्ठ का भी नाम चर्चा में है। लेकिन दोनों की उम्र 70 साल से ऊपर है। आलोचकों का कहना है कि युवाओं द्वारा चलाए गए आंदोलन में बुजुर्ग नेतृत्व का चयन उसकी आत्मा के खिलाफ होगा।
पहले रैपर और फिर काठमांडू के मेयर बने 35 साल के बालेन शाह के नाम की भी चर्चा हो रही है। बालेन शाह ने ओली को भ्रष्ट कहकर खुला विरोध किया है और Gen Z आंदोलन का समर्थन किया है। हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि वह आंदोलन का नेतृत्व नहीं करेंगे और युवाओं से खुद सरकार संभालने की अपील की।
सेना की अपील
नेपाल की सेना ने मंगलवार को फिर अपील की कि लोग और प्रदर्शनकारी शांत रहें, संपत्ति की रक्षा करें और सामाजिक सौहार्द बनाए रखें। सेना ने दोहराया कि वह नागरिकों के जीवन और गरिमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और साथ ही यह संकेत दिया कि यदि जरूरत पड़ी तो वह शांति स्थापना और संवाद की मध्यस्थ की भूमिका निभाएगी।