छत्तीसगढ़

NDPS केस में क्लीन चिट: वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव बरी, अदालत ने कहा—“फर्जी केस, राजनीतिक साजिश का नतीजा”

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सत्य की जीत ने एक बार फिर न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा मजबूत किया है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव को NDPS मामले में रायपुर जिला अदालत की विशेष NDPS कोर्ट ने बा-इज्ज़त बरी कर दिया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की सभी दलीलों को असत्य, विरोधाभासी और राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पूरा मामला “सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति” था, जिसे पत्रकार को फँसाने के लिए साजिशन तैयार किया गया।

सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि पुलिस ने NDPS एक्ट की अहम धाराएँ—50 और 52—का पालन नहीं किया। गवाहों ने अदालत में स्वीकार किया कि उनके नाम और हस्ताक्षरों का फर्जी उपयोग कर उन्हें जबरन प्रत्यक्षदर्शी दिखाया गया। इन गंभीर खामियों और राजनीतिक मंशा के संकेतों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीश शैलेश शर्मा ने पत्रकार नामदेव को पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया।

इससे पहले भी वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन एक्ट के मामले में कोर्ट ने उन्हें सीधे डिस्चार्ज कर चुकी है। लगातार मिली अदालत की राहतें साबित करती हैं कि बीते शासनकाल में पत्रकारों को दमन की नीति के तहत निशाना बनाया गया।
बताया जाता है कि कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ शराब घोटाला, कोल परिवहन घोटाला और महादेव ऑनलाइन सट्टा एप से जुड़े नामदेव के बड़े खुलासों के बाद सत्ता पक्ष बौखला गया था। इसके बाद न केवल उनके खिलाफ कई फर्जी आपराधिक मामले दर्ज किए गए, बल्कि कई अन्य पत्रकारों को भी प्रताड़ित किया गया।
अब अदालत का यह फैसला न सिर्फ सुनील नामदेव की बेगुनाही की पुष्टि करता है, बल्कि उस समय मीडिया पर हुए दबाव और साजिशों की परतें भी खोल देता है।
पत्रकार नामदेव ने न्यायालय के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए समर्थकों और शुभचिंतकों का आभार जताया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button