पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए

पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कुल 2 करोड़ 12 लाख मतदाताओं में से करीब 27 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने की सूचना- उपाध्याय ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अभी करीब तीन साल दूर हैं, तो SIR को इतनी जल्दबाजी में कराने की क्या जरूरत थी। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के नाम पर 50 साल से अधिक समय से छत्तीसगढ़ में रह रहे वैध नागरिकों के भी नाम काट दिए गए।
कांग्रेस नेता ने बताया कि चुनाव आयोग ने SIR फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 18 दिसंबर 2025 तय की थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोग समय पर फॉर्म नहीं भर पाए और इसके बावजूद तिथि नहीं बढ़ाई गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने फॉर्म भरने के लिए तीन महीने का समय देने की मांग की थी, लेकिन आयोग ने केवल एक महीने में प्रक्रिया पूरी कर दी।
उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी आबादी ऐसी है जो सुबह काम पर निकलती है और रात में लौटती है। ऐसे में वे सीमित समय में SIR फॉर्म कैसे भर पाते। आरोप है कि चुनाव आयोग ने मनमानी रवैया अपनाया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश के अलग-अलग राज्यों में SIR के दौरान BLO पर दबाव बनाया गया। कई जगहों पर दबाव में काम कराने को लेकर पत्र लिखे जाने और BLO द्वारा आत्महत्या जैसे मामलों के उदाहरण सामने आए हैं।
विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा लगातार घुसपैठियों के नाम पर राजनीति करती है, लेकिन बिहार में 65 लाख नाम कटने के बाद भी घुसपैठियों का स्पष्ट आंकड़ा देने से डर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के खिलाफ या उसकी विचारधारा से असहमत मतदाताओं को SIR के जरिए सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है।
अंत में उपाध्याय ने कहा कि SIR के माध्यम से जिन वैध मतदाताओं के नाम काटे गए हैं, कांग्रेस पार्टी उन सभी पीड़ितों के साथ खड़ी है और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी।




