क्या बल्लेबाज की कदकाठी से फर्क पड़ता है? द्रविड़ के चश्मे से देखिए और समझिए

नई दिल्ली. क्या बल्लेबाज की कदकाठी से भी क्रिकेट में फर्क पड़ता है? क्या यह संयोग है कि क्रिकेट इतिहास के ज्यादातर महान बल्लेबाज छोटे कद के थे या हैं? सर डॉन ब्रेडमैन से लेकर सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा…तक, ये सभी छोटे कद के बल्लेबाज के जो खेल पर राज किया। ‘भारत की दीवार’ राहुल द्रविड़ ने इसे लेकर जो कहा है वो जरूर सुनना चाहिए। वह तकनीकी के मामले में दुनिया के श्रेष्ठतम बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। उनका डिफेंस लगभग अभेद्य था। अपने दौर के गेंदबाजों के लिए सबसे बड़े सिरदर्द में से एक थे।
आशीष कौशिक के पॉडकास्ट ‘हाल चाल और सवाल’ में राहुल द्रविड़ ने बताया, ‘गावस्कर बहुत ही संतुलित खिलाड़ी थे। जब वह बल्लेबाजी कर रहे होते थे तो उनमें गजब का ठहराव था जिसका मैं प्रशंसक हूं। मैं थोड़ा सा लंबा हूं तो इसलिए मैंने उनको कॉपी नहीं किया। मैं ऐसे खड़े होता था जिससे मुझे थोड़ी असहजता महसूस होती थी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘फिर तेंदुलकर भी बहुत ही संतुलित थे। छोटे कद के लोगों को ये फायदा होता है कि वे बहुत ही संतुलित दिखते हैं क्योंकि गुरुत्वाकर्षण का केंद्र कम ऊंचाई पर होता है। वर्षों से बहुत सारे ऐसे महाने बल्लेबाज हुए जो छोटे कद के थे। गावस्कर या तेंदुलकर या लारा या पोंटिंग…और पीछे जाएंगे तो ब्रेडमैन। कोहली भी कुछ-कुछ छोटे ही कद के हैं। विराट कोहली को शायद मेरा उन्हें छोटे कद का कहना पसंद न आए।’
ऐसा नहीं है कि क्रिकेट पर सिर्फ छोटे ही कद के बल्लेबाजों ने राज किया। जो लंबे-ऊंचे कद के खिलाड़ी हैं, उन्हें भी अपनी कद-काठी का अलग ही फायदा है। द्रविड़ की माने तो लंबी कद-काठी के बल्लेबाज आम तौर पर बहुत ही हार्ड हिटर होते हैं। वे गेंद पर बहुत ही जोरदार प्रहार करते हैं। क्रिस गेल, केविन पीटरसन, युवराज सिंह और कायरन पोलार्ड इसके कुछ उदाहरण हैं। राहुल द्रविड़ भी लंबे कद के माने जाते हैं लेकिन उनकी पहचान कभी हिटर की नहीं रही।
द्रविड़ ने कहा, ‘लेकिन आज खेल बदल रहा है और अब पावर और सिक्स जड़ने पर जोर रहता है। लंबे खिलाड़ियों को फायदा मिल रहा है। फीजिक महत्वपूर्ण हो गया है। केविन पीटरसन, काइरन पोलार्ड। उन खिलाड़ियों को देखिए जो इन दिनों बैटिंग कर रहे हैं, खासकर टी20 में।’