ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के किशोरों के लिए बैन हुआ सोशल मीडिया

कैनबरा/नई दिल्ली । ऑस्ट्रेलिया में किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर लगने वाला नया प्रतिबंध 10 दिसंबर से लागू हो गया। सरकार का कहना है कि यह कदम बच्चों को सोशल मीडिया के नकारात्मक असर से बचाने के लिए जरूरी था। लेकिन दुनिया भर में इस फैसले को लेकर बहस तेज हो गई है। कई अधिकार संगठनों ने इसे युवाओं की स्वतंत्रता में दखल बताया है, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने इसका समर्थन किया है।
संसद से पास कानून, 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर पूरी पाबंदी
सरकार का तर्क: बच्चों को नुकसान से बचाना
लेबर पार्टी सरकार ने कहा कि यह कदम बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य, ऑनलाइन शोषण और हानिकारक सामग्री से बचाने के लिए उठाया गया है। प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज कई बार कह चुके हैं कि बच्चों की सुरक्षा के मामले में सरकार किसी तरह का जोखिम नहीं लेगी। एक ऑनलाइन पोल में 77 फीसदी लोगों ने इस नीति का समर्थन किया था। हालांकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार बहुत जल्दी में ऐसे नियम लागू कर रही है।
किन प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लागू होगी?
शुरुआत में फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर), स्नैपचैट, रेडिट और टिकटॉक इस सूची में थे। लंबे समय तक माना जा रहा था कि यूट्यूब को इससे बाहर रखा जाएगा, क्योंकि इसे बच्चों के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन 30 जुलाई को यह साफ हो गया कि यूट्यूब भी प्रतिबंधित सूची में शामिल होगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि बच्चे यूट्यूब वीडियो देख तो सकेंगे, लेकिन अकाउंट नहीं बना सकेंगे और वीडियो को लाइक, कमेंट या सेव नहीं कर सकेंगे।
ई-सेफ्टी कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने एक 2600 लोगों के सर्वे का हवाला देते हुए बताया था कि हर चार में से एक व्यक्ति ने यूट्यूब पर हानिकारक सामग्री देखी है। उनके अनुसार, यूट्यूब का एल्गोरिदम बच्चों को लुभाने वाले खतरनाक वीडियो भी दिखा देता है।
प्रतिबंध लागू कैसे होंगे?
सोशल मीडिया कंपनियों को उम्र सत्यापन सिस्टम तैयार करना होगा।
कंपनियों को खुद ही 16 साल से कम उम्र के यूजर्स की पहचान कर अकाउंट बंद करना होगा।
परिवारों या बच्चों पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
सरकार आधिकारिक पहचान पत्र मांगने पर जोर नहीं देगी, बल्कि वैकल्पिक सत्यापन तरीकों पर ध्यान देगी।
नियम न मानने वाली कंपनियों पर 50 मिलियन डॉलर तक का जुर्माना लगेगा।




