छत्तीसगढ़

नगर निगम रायपुर में तकनीकी अनियमितताओं, वित्तीय भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक लापरवाही पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग (IHRPC) की गंभीर आपत्ति

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग, छत्तीसगढ़ प्रदेश ने नगर निगम रायपुर में हो रहे गंभीर भ्रष्टाचार, वित्तीय गड़बड़ियों एवं तकनीकी अनियमितताओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। आयोग के प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा एवं जनसंपर्क अधिकारी अज़ीम खान द्वारा नगर निगम प्रशासन को भेजे गए विस्तृत ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि –

1. तकनीकी गड़बड़ी एवं लापरवाही:
• निगम के विकास कार्यों में बिना तकनीकी स्वीकृति और निगरानी के ठेकेदारों को कार्य सौंपे गए।
• निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
• इससे न केवल निगम की आर्थिक हानि हो रही है बल्कि आम नागरिकों की जीवन, सुरक्षा एवं मानवाधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

2. वित्तीय विभाग में भ्रष्टाचार:
• विभिन्न समाचार पोर्टलों एवं रिपोर्टों (खबर जोरदार, इंडियन टाइम्स, क्राइम छत्तीसगढ़) के अनुसार वित्तीय विभाग में लंबे समय से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है।
• निगम का वित्तीय लेनदेन पारदर्शी तरीके से न होकर संदिग्ध व्यक्तियों पर आधारित रहा है, जिससे प्रशासनिक विश्वास कमजोर हुआ है।

3. भाई-भतीजावाद एवं भ्रष्ट नियुक्तियाँ:
• नगर निगम के विभिन्न विभागों में भारी भरकम रिश्वत राशि लेकर अवैध नियुक्तियाँ और मनमाने पदस्थापन किए जाने के गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिससे ईमानदार अभ्यर्थियों का हक छीना जा रहा है और प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह अविश्वसनीय होता जा रहा है।
• यह आरोप जनता और मीडिया के बीच व्यापक रूप से चर्चा का विषय बन चुका है।

आयोग की माँगें

आयोग ने नगर निगम रायपुर की महापौर महोदया से निम्नलिखित मांगें की हैं –
1. सभी विभागों की तत्काल उच्चस्तरीय एवं स्वतंत्र जाँच कराई जाए।
2. जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक एवं कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. सभी विकास एवं वित्तीय कार्यों को तकनीकी स्वीकृति और विशेषज्ञों की देखरेख में ही कराया जाए।
4. नगर निगम की कार्यप्रणाली को जनता के प्रति पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए।

प्रदुमन शर्मा (प्रदेश महासचिव, IHRPC):

“नगर निगम रायपुर में चल रही अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार आम नागरिकों के जीवन और अधिकारों पर सीधा प्रहार है। यह केवल वित्तीय गड़बड़ी नहीं बल्कि प्रशासनिक अक्षमता का उदाहरण है। यदि तत्काल कड़ी कार्रवाई नहीं होती है, तो हम इस मुद्दे को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक ले जाएंगे और न्यायालयीन हस्तक्षेप की मांग भी करेंगे।”

अज़ीम खान (जनसंपर्क अधिकारी, IHRPC):

“जनता का भरोसा बनाए रखना नगर निगम की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान स्थिति ने पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हम स्पष्ट चेतावनी देते हैं कि दोषियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाए, अन्यथा यह मामला जनता और मीडिया के सामने और जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।”

यदि इस मामले में शीघ्र, ठोस और पारदर्शी कार्रवाई नहीं होती है तो आयोग इस मुद्दे को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक उठाने, मीडिया और जनता के बीच प्रमुखता से रखने और न्यायालयीन हस्तक्षेप की मांग करने के लिए बाध्य होगा।

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