राज्योत्सव में दिखावा: फोटो के लिए पुरानी लाभार्थियों को दोबारा सौंपी चाबी…

कवर्धा । मत्स्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं, जब यह खुलासा हुआ कि विभाग द्वारा 9 माह पूर्व लाभार्थियों को दी जा चुकी वाहनों की चाबियाँ राज्योत्सव के दौरान मंत्री को अँधेरे में रख अफसरों द्वारा पुनः“वितरित” करवा प्रेस विज्ञप्ति जारी करवाई गईं है ।
राज्योत्सव के मंच पर 4 नवम्बर मंगलवार को ऐसा नजारा देखने मिला, जिसे देखकर हैरानी होती है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालकों को पिकअप वाहन की चाबी सौंपी गई। हकीकत ये है कि जिन दो लाभार्थियों को मंच पर सम्मानपूर्वक बुलाकर मंत्री विजय शर्मा के हाथों चाबी दी गई , यह वाहन संबंधित योजना के तहत हितग्राहियों को विभाग ने लगभग नौ महीने पहले सत्र 2024-25 में माह जनवरी व मार्च में ही उपलब्ध करा दिए गए थे। लेकिन राज्योत्सव समारोह के दौरान विभागीय अधिकारियों ने उन्हीं वाहनों की चाबियाँ मंत्री के हाथों से दोबारा दिलवा दीं, जिससे पूरे राज्योत्सव के रजत वर्ष के कार्यक्रम की साख पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
मत्स्य विभाग ने राज्योत्सव समारोह में योजनाओं की सफलता का प्रदर्शन करने के लिए पुराने लाभार्थियों को ही बुला लिया। विभागीय अधिकारियों ने औपचारिकता निभाने और “फोटो खिंचाने” के लिए उन्हें फिर से उपमुख्यमंत्री के हाथों प्रतीकात्मक चाबी थमा दी।
बड़ा सवाल- जब वाहन वितरण पहले ही हो चुका था, तो राज्योत्सव के मंच पर दिखावा क्यों?
कुल मिलाकर, यह आयोजन योजना की सफलता से ज्यादा सरकारी तामझाम और फोटो खिंचाने की परंपरा का उदाहरण बन गया । सूत्रों का कहना है कि यह कदम “प्रचार की झलक” दिखाने के उद्देश्य से उठाया गया, ताकि राज्योत्सव में विभाग की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा सके और मंत्री के हाथों शाबासी प्राप्त कर मंत्री के दरबार मे अपना नंबर बढ़ाया जा सके कर्मठ व सजग अफसर के रूप में । स्थानीय हितग्राहियों , आमजनो व विपक्ष को इसकी जानकारी होने पर उन्होंने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह जनता और सरकार दोनों के साथ धोखाधड़ी जैसा व्यवहार है जो जानबूझकर विभाग की छवि चमकाने किया गया है । ऐसे धोखेबाज अफसरों के खिलाफ धोखाघड़ी , जालसाजी , कूटरचना का अपराध पंजीबद्ध किया जा कर सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिए । जो अफसर मंत्री के साथ ऐसी धोखाघड़ी कर सकते है वो आमजनता और हितग्रहियों के साथ कैसे कैसे गड़बड़ घोटाले करते है अनुमान लगाया जा सकता है ।
वहीं, एक विभागीय कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह “औपचारिक वितरण” मात्र था, जिसे राज्योत्सव के आयोजन के दौरान “प्रतीकात्मक रूप” में किया गया है इसे मीडिया को ज्यादा तूल नही देना चाहिए ।
इस मामले ने अब प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।




